‘आछत फरकैण रस्म व मंगल गीतों का है महत्व
कुमाऊं की वैवाहिक परंपराओं
में अक्षत(चावल) के द्वारा स्वागत अथवा पूजन का भी अपना एक विशेष महत्व
है। इसे कुमाऊं में अनेक स्थानों पर कुमाऊंनी भाषा में (आछत फरकैण) अथवा
अक्षत के द्वारा मंगलमयी जीवन के लिए भी कामना की जाती है। विवाह समारोह में
आछत फरकैण एक महत्वपूर्ण रस्म है। इसके लिए वर और वधू पक्ष के परिवार की
महिलाओं को विशेष रूप से इसके लिए आमंत्रित किया जाता है। वे पारंपरिक
परिधानों रंगवाली पिछौड़ा व आभूषण पहनकर इस कार्य को करती हैं। दूल्हे के घर
में बारात प्रस्थान के समय भी इन महिलाओं द्वारा दूल्हे का अक्षतों से स्वागत
किया जाता है। दूल्हे के घर में बरात पहुंचने पर वर पक्ष की महिलाएं जो
आछत फरकैण के लिए आमंत्रित होती हैं। वे दूल्हा और दुल्हन का घर में
प्रवेश से पहले आंगन में यह परंपरा अदा की जाती है। अक्षत को शुद्ध, पवित्रता और सच्चाई
का भी प्रतीक माना जाता है। शादियों से
पूर्व में मंगल गीत गाने के लिए गांव की
विशेष दो महिलाएं जो गितार कहलाती
थी,
विवाह में मंगल गीत गाती थीं। पर अब यह
परंपरा भी आधुनिकता की भेंट
चढ़ती जा रही है। मंगलगीत में देवताओं
का आह्वान और मंगलमयी जीवन की कामना
की जाती है।
-भुवन बिष्ट, मौना रानीखेत, अल्मोड़ा
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